Rupee dollar के मुकाबले 88.53 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर – अमेरिकी टैरिफ और वीज़ा शुल्क बढ़ोतरी का असर

0

भारतीय रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 88.53 तक गिर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.41 पर खुला और धीरे-धीरे गिरकर 88.53 तक पहुंच गया। यह पिछले बंद स्तर (88.28) से 25 पैसे कमजोर रहा।

गिरावट के मुख्य कारण

  1. अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी – अमेरिका ने भारतीय निर्यातित वस्तुओं पर नए टैरिफ लगाए हैं, जिससे विदेशी मुद्रा प्रवाह पर दबाव बढ़ा।
  2. H-1B वीज़ा शुल्क बढ़ोतरी – अमेरिका द्वारा 1 लाख डॉलर तक का नया H-1B वीज़ा शुल्क लागू करने की घोषणा ने भारतीय आईटी और सर्विस सेक्टर की चिंता बढ़ा दी है।
  3. निवेशक सेंटिमेंट कमजोर – विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने सोमवार को ही भारतीय बाजार से ₹2,910 करोड़ की निकासी की।
  4. आरबीआई की सीमित दखलअंदाजी – विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) डॉलर बेचकर बाजार को सहारा तो दे रहा है, लेकिन उसका हस्तक्षेप सीमित है।

विशेषज्ञों की राय

Finrex Treasury Advisors LLP के हेड ऑफ ट्रेज़री, अनिल कुमार भंसाली ने कहा:

“RBI सीधा हस्तक्षेप बहुत सीमित कर रहा है, जिससे रुपये में उतार-चढ़ाव और भी बढ़ सकता है। रुपये ने अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले भी नया निचला स्तर छुआ है।”

फॉरेक्स ट्रेडर्स का मानना है कि डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है जबकि IPO से मिले लगभग ₹7,500 करोड़ के डॉलर भी बाज़ार में बड़े पैमाने पर डॉलर खरीदारी में समा गए।

वैश्विक हालात

  • डॉलर इंडेक्स – जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती मापता है, 0.03% नीचे रहकर 97.30 पर ट्रेड कर रहा था।
  • ब्रेंट क्रूड ऑयल – वैश्विक तेल बेंचमार्क 0.62% नीचे रहकर $66.16 प्रति बैरल पर।
  • ग्लोबल रिस्क अवर्जन – अमेरिकी व्यापार नीतियों की अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों की धारणा कमजोर की है।

शेयर बाजार पर असर

  • सेंसेक्स – 207.78 अंकों की गिरावट के साथ 81,952.19 पर।
  • निफ्टी 50 – 68.40 अंक गिरकर 25,133.95 पर।
  • FPI निकासी – विदेशी निवेशकों ने केवल सोमवार को ही ₹2,910 करोड़ के शेयर बेचे।

सरकार की पहल

इस बीच, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अमेरिकी व्यापार अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए अमेरिका दौरे पर हैं। उद्देश्य है:

  • व्यापार विवादों को कम करना,
  • टैरिफ में राहत दिलाना,
  • और एक पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना।

उनके साथ विशेष सचिव राजेश अग्रवाल और अन्य अधिकारी भी इस दौरे में शामिल हैं।

निवेशकों और आम जनता पर असर

  1. आयात महंगे होंगे – कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य आयातित उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
  2. महंगाई का दबाव – डॉलर महंगा होने से ईंधन और उपभोक्ता वस्तुओं की लागत बढ़ेगी।
  3. विदेशी शिक्षा और टूरिज्म – डॉलर महंगा होने से भारतीय छात्रों और यात्रियों के लिए खर्च बढ़ जाएगा।
  4. आईटी और सर्विस सेक्टर – रुपये की गिरावट से इन कंपनियों को अल्पकालिक लाभ हो सकता है क्योंकि उन्हें डॉलर में आय होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1. रुपया किस स्तर तक गिरा है?

रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 88.53 तक गिरा, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।

Q2. गिरावट की वजह क्या है?

अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी, H-1B वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली।

Q3. क्या RBI हस्तक्षेप कर रहा है?

हां, RBI डॉलर बेचकर स्थिरता लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसका हस्तक्षेप सीमित है।

Q4. आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?

आयातित वस्तुएं महंगी होंगी, महंगाई बढ़ सकती है और डॉलर से जुड़े खर्चे (जैसे विदेश यात्रा, पढ़ाई) और भी महंगे होंगे।

पिछला लेख: https://paisabeat.com/h-1b-visa-100000-fee-impact-on-indian-students-parents-us-study/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights