Digital ads में धांसू उछाल: 2025 की पहली छमाही में इंप्रेशन्स दोगुने — Instagram ने 63% हिस्सा झटका
डिजिटल विज्ञापन का परिदृश्य बदल गया है। 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी-जून) में डिजिटल इंप्रेशन लगभग दोगुने दर्ज किए गए और इस बढ़त का सबसे बड़ा लाभ Instagram को मिला — प्लेटफॉर्म का शेयर बाजार में 63% तक पहुंच गया। यह बदलाव ब्रांड बजट, मीडिया प्लानिंग और कंटेंट स्ट्रैटेजी सब कुछ प्रभावित कर रहा है। नीचे पढ़िए कि कौन-से फैक्टर्स इस उछाल के पीछे हैं, किस श्रेणी ने सबसे ज़्यादा निवेश किया और ब्रांड्स तथा पब्लिशर्स के लिए क्या-क्या मायने रखते हैं।

प्रमुख बातें — एक नज़र में
• इंप्रेशन्स दोगुने: 2025 की H1 में डिजिटल एड इंप्रेशन्स में सालाना तुलना में तीव्र वृद्धि।
• Instagram का दबदबा: कुल इंप्रेशन्स का 63%।
• Facebook ~14%, YouTube ~9%, और X लगभग 5% आंकड़ों में शामिल हैं।
• Display Ads का हिस्सा लगभग 90%, Video Ads करीब 10%।
• Programmatic प्लेसमेंट का प्रभुत्व — करीब 95% विज्ञापन ऑटोमेटेड/डेटा-ड्रिवन तरीके से दिए गए।
• लगभग 1.1 लाख से अधिक नए विज्ञापनदाताओं ने इस अवधि में डिजिटल पर कदम रखा।
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Instagram क्यों आगे है? — चार बड़े कारण
1. विज़ुअल-फर्स्ट फॉर्मेट — इमेज-वीडियो प्रधान फॉर्मेट ने ब्रांड्स को ज्यादा क्रिएटिव और एंगेजिंग विज्ञापन दिखाने का अवसर दिया।
2. Reels और Stories का विस्तार — शॉर्ट-फॉर्म वीडियो यूज़र एंगेजमेंट बढ़ाने में सबसे प्रभावी रहा।
3. लक्षित ऑडियंस व उन्नत टार्गेटिंग — Meta का डेटा-इन्फ्रास्ट्रक्चर और एड-टार्गेटिंग टूल्स ब्रांड्स को बेहतर ROI दे रहे हैं।
4. ब्रांड-फ्रेंडली इन्वेंटिव्स — Instagram पर शॉपेबल पोस्ट, इन-ऐप चेकआउट और कंज़्यूमर-फोकस्ड फॉर्मेट्स से विज्ञापनदाताओं का भरोसा बढ़ा।
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कौन-सी इंडस्ट्रीज़ और कैटेगरीज बढ़ीं?
• ई-कॉमर्स: कुल इंप्रेशन्स में अहम योगदान — ब्रांड्स ने सेल, कलेक्शन और शॉप्बाय पोस्ट पर भारी निवेश किया।
• Services (सर्विसेज): इंप्रेशन्स का लगभग 40–45% हिस्सा — फाइनेंस, एजुकेशन, और सर्विस-ओरिएंटेड ऑफ़र तेज़ी से डिजिटल पर विज्ञापन कर रहे हैं।
• Fashion, Personal Care, Food & Beverages, Durables: अब ये कैटेगरी भी डिजिटल-पहचान बना रही हैं — कई रिटेल और उपभोक्ता-ब्रांड्स ऑनलाइन-फर्स्ट बजट बढ़ा रहे हैं।
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मीडिया-मिक्स का बड़ा बदलाव: Programmatic और Display का प्रभुत्व
• Programmatic: लगभग 95% प्लेसमेंट प्रोग्रामेटिक चैनलों से किए जाने से विज्ञापन खरीदारी तेज़, लक्ष्यकृत और स्केलेबल हुई है।
• Display > Video: हालाँकि शॉर्ट-फॉर्म वीडियो लोकप्रिय है, पहली छमाही में डिस्प्ले फॉर्मैट ने संख्या में भारी बढ़त दिखाई — अक्सर ब्रांड्स ने ब्रॉड-रिचनेस पर जोर दिया।
• इसका अर्थ: ब्रांड्स अब impressions-led रिचनेस के साथ reach भी maximize कर रहे हैं और conversions के लिए अलग-से विडियो/अल्गोरिथ्म-ऑप्टिमाइज़्ड कैम्पेन चला रहे हैं।
ब्रांड्स और पब्लिशर्स के लिए क्या मायने रखता है?
ब्रांड्स के लिए
• बजट का पुनर्वितरण: पारंपरिक मीडिया से डिजिटल की ओर तेज़ शिफ्ट ज़रूरी है – खासकर सोशल-वीडियो और programmatic डिस्प्ले में।
• क्रिएटिव-रिच कंटेंट: स्टोरीटेलिंग, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो, और इंटरैक्टिव फ़ॉर्मैट्स से एंगेजमेंट बढ़ेगा।
• डेटा-ड्रिवन मॉडल: बिजनेस-लंबित परफॉर्मेंस KPIs (ROAS, CPA) के साथ ऑडियंस-सेगमेंटेशन जरूरी।
पब्लिशर्स के लिए
• इंवेंटिव मोनेटाइजेशन: बड़ा ब्रैंड बजट आया तो CPM/CPM-based revenue बढ़ेगा — छोटे पब्लिशर्स के लिए programmatic optimization और first-party data महत्वपूर्ण।
• कंटेंट क्वालिटी: बैंडविड्थ/इम्प्रेशन बढ़ने पर यूज़र रिटेंशन पर खास ध्यान दें — low-quality ad placement से ब्लाइट रिव्यू मिल सकता है।
चुनौतियाँ और रिस्क-फैक्टर्स
1. CPM बढ़ सकते हैं — बढ़ती डिमांड से कीमतें ऊपर जा सकती हैं, खासकर प्राइम इन्वेंट्री पर।
2. एड-फ्लड और फ्रेमिंग — ज्यादा इंप्रेशन्स के बीच एड-फैटिगue और कंज्यूमर-सैचुरेशन का खतरा।
3. प्राइवेसी और रेगुलेशन — cookieless future और डेटा-नियम advertisers की टार्गेटिंग रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं।
4. छोटे पब्लिशर्स की लड़ाई — बड़े ब्रांड्स की बोली छोटे पब्लिशर्स के लिए इन्वेंट्री सस्ता कर सकती है।
2025 की पहली छमाही का डेटा स्पष्ट संदेश देता है: डिजिटल अब प्राथमिक मीडिया बन चुका है, और Instagram इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभार्थी है। ब्रांड्स को चाहिए कि वे अपने मीडिया-बजट, क्रिएटिव और मैपिंग को फिर से परिभाषित करें — programmatic, social-video और data-driven campaigns पर फोकस करके। वहीं पब्लिशर्स को अपनी इन्वेंट्री और यूज़र-डेटा को मजबूत कर के आने वाले डिजिटल-बूम से पूरा लाभ उठाना होगा।
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