Hindustan Aeronautics Ltd ( HAL ) और रक्षा मंत्रालय का ₹62,370 करोड़ का ऐतिहासिक सौदा: 97 तेजस Mk1A लड़ाकू विमान
भारत की रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित हुआ है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रक्षा मंत्रालय ने 97 हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस Mk1A की आपूर्ति के लिए ₹62,370 करोड़ का अनुबंध किया है। यह सौदा भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत बढ़ाने और मेक इन इंडिया पहल को सशक्त बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।

सौदे का मुख्य विवरण
इस अनुबंध के तहत कुल 97 विमान शामिल हैं, जिनमें:
- 68 एकल-सीटर लड़ाकू विमान
- 29 ट्विन-सीटर प्रशिक्षक विमान
इन विमानों की डिलीवरी 2027-28 से शुरू होकर 2032 तक पूरी होने की योजना है। ये सभी विमान इंडिजिनियसली डिज़ाइन, डेवलप्ड एंड मैन्युफैक्चर्ड (IDDM) श्रेणी में आते हैं, जिससे स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।
तेजस Mk1A के अतिरिक्त 67 नए उपकरण और उन्नत तकनीकें शामिल हैं, जिससे इन विमानों की प्रभावशीलता और ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि होगी।
स्वदेशीकरण और तकनीकी उन्नति
तेजस Mk1A में लगभग 64% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। यह भारत की डिफेंस इंडस्ट्री की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। HAL ने पिछले मॉडल की तुलना में तकनीकी उन्नयन और नए उपकरणों को जोड़कर विमान की सैन्य दक्षता और ऑपरेशन क्षमता बढ़ाई है।
इस सौदे से यह स्पष्ट होता है कि भारत की रक्षा उद्योग आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
रोजगार सृजन और औद्योगिक सहयोग
यह परियोजना 105 भारतीय कंपनियों के सहयोग से संचालित होगी। इसके परिणामस्वरूप लगभग 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे।
इस सौदे से भारतीय मेड-टू-ऑर्डर उद्योग, उप-निर्माता कंपनियों और उच्च तकनीक श्रमिकों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलेगा। यह न केवल रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की औद्योगिक विकास नीति को भी मजबूती देगा।
HAL के लिए वित्तीय और रणनीतिक लाभ
इस सौदे की घोषणा के बाद HAL के शेयरों में 2.2% की वृद्धि देखी गई और यह ₹4,827.95 प्रति शेयर तक पहुंच गया। यह HAL के लिए वित्तीय स्थिरता, दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ और भारतीय रक्षा उद्योग में उसकी प्रमुख भूमिका को स्थापित करने का संकेत है।
साथ ही यह सौदा HAL की R&D और तकनीकी उन्नति में निवेश की क्षमता को भी बढ़ाता है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
भारत की रक्षा नीति में आत्मनिर्भरता एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। तेजस Mk1A जैसे स्वदेशी विमानों का निर्माण और आपूर्ति इस लक्ष्य की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाता है।
- यह सौदा ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सशक्त बनाता है।
- स्वदेशी विमानन उपकरणों का उपयोग भारतीय वायुसेना की सामरिक क्षमता बढ़ाता है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के डिफेंस उत्पादों की विश्वसनीयता में सुधार करता है।
तेजस Mk1A के फायदे और क्षमताएँ
तेजस Mk1A को हल्के लड़ाकू विमान के रूप में विकसित किया गया है, और यह कई आधुनिक तकनीकों से लैस है:
- उन्नत एवियोनिक्स और राडार सिस्टम
- लचीली हथियार प्रणाली और मल्टी-रोल ऑपरेशन
- कम रखरखाव और लंबी सेवा अवधि
- सर्वश्रेष्ठ ईंधन दक्षता और ऑपरेशन क्षमता
यह विमान भारत की रक्षा रणनीति और घरेलू उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करने में सहायक है।
HAL और रक्षा मंत्रालय के बीच ₹62,370 करोड़ का यह अनुबंध भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाने, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
यह सौदा भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, तकनीकी क्षमता और वैश्विक मानकों के अनुरूप आधुनिक लड़ाकू विमान उत्पादन का प्रतीक है। तेजस Mk1A के परिचालन से भारतीय वायुसेना सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक बनेगी।
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