Blinkit का बड़ा बदलाव: अब खुद रखेगा स्टॉक, सीधे ग्राहकों को बेचेगा सामान

इंस्टेंट ग्रॉसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म Blinkit (पहले Grofers) ने अपने बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। अब तक Blinkit मार्केटप्लेस मॉडल पर काम करता था, यानी सेलर्स अपनी इन्वेंट्री रखते थे और Blinkit सिर्फ डिलीवरी का माध्यम था। लेकिन अब कंपनी ने तय किया है कि वह खुद इन्वेंट्री खरीदेगी, वेयरहाउस में स्टॉक रखेगी और सीधे ग्राहकों को सामान बेचेगी।

कब से लागू होगा नया मॉडल?

नया इन्वेंट्री होल्डिंग और डायरेक्ट-टू-कस्टमर मॉडल 1 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसके लिए Blinkit अलग-अलग राज्यों में अपनी ब्रांच के लिए नए GST रजिस्ट्रेशन भी ले रही है ताकि कोई टैक्स या कानूनी रुकावट न आए।

क्यों जरूरी हुआ बदलाव?

गुणवत्ता और स्टॉक पर नियंत्रण:

अब Blinkit को स्टॉक की उपलब्धता और प्रोडक्ट क्वालिटी पर पूरा नियंत्रण मिलेगा। इससे ग्राहकों को आउट-ऑफ-स्टॉक जैसी परेशानी नहीं होगी।

मार्जिन में बढ़ोतरी:

इन्वेंट्री को खुद संभालने से कंपनी को थोक में सामान खरीदने का मौका मिलेगा, जिससे मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सप्लाई चेन मजबूत होगी:

सप्लाई में रुकावट, देरी और कमीशन स्ट्रक्चर की दिक्कतें काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।

नए FDI नियमों से कैसे मिला रास्ता?

Blinkit की पेरेंट कंपनी Zomato (अब Eternal Ltd.) ने अपनी विदेशी हिस्सेदारी सीमित कर दी है ताकि Blinkit भारतीय मालिकाना हक वाली कंपनी मानी जाए। इससे कंपनी पर विदेशी निवेश नियमों के तहत इन्वेंट्री होल्डिंग पर कोई रोक नहीं लगेगी।

कमीशन स्ट्रक्चर में भी बदलाव

मार्च 2025 से ही Blinkit ने अपने पुराने कमीशन सिस्टम को भी बदला था। अब प्रोडक्ट की कीमत के आधार पर कमीशन तय होता है, जैसे ₹500 तक के प्रोडक्ट पर 2% और महंगे प्रोडक्ट पर ज्यादा कमीशन लिया जाता है। नया मॉडल लागू होने के बाद यह स्ट्रक्चर भी सुधर सकता है।

भारत में क्विक-कॉमर्स सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है। Zepto और Swiggy Instamart जैसे प्लेटफॉर्म्स से मुकाबला करने के लिए Blinkit को अपनी सप्लाई चेन और मार्जिन कंट्रोल मजबूत करना जरूरी था। नया मॉडल कंपनी को इस रेस में आगे बनाए रखने में मदद करेगा।

Blinkit का नया ‘इन्वेंट्री ओन्ड’ मॉडल भारतीय क्विक-कॉमर्स सेक्टर में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इससे ग्राहकों को बेहतर सर्विस मिलेगी और कंपनी को लागत और मुनाफे पर ज्यादा नियंत्रण रहेगा। अब देखना होगा कि 1 सितंबर से लागू होने के बाद यह रणनीति Blinkit को कितना फायदा पहुंचाती है।

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