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पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर केंद्र सरकार का स्पष्ट इनकार, वित्त मंत्री ने संसद में दी जानकारी

केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) को फिर से लागू करने की मांगों को खारिज कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में स्पष्ट किया कि सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को कर्मचारियों के पेंशन का प्राथमिक आधार बनाया है, और वर्तमान में इसी योजना में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर के कर्मचारी संगठन और यूनियनें OPS की बहाली के लिए लगातार आंदोलनरत हैं। वित्त मंत्री का यह रुख इन संगठनों के लिए निराशाजनक साबित हो सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि OPS की पुनर्स्थापना से देश के आर्थिक हितों को गंभीर नुकसान हो सकता है।

पुरानी पेंशन योजना को खत्म करने के पीछे वित्तीय दबाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पुरानी पेंशन योजना सरकार पर एक भारी वित्तीय बोझ थी, जो देश की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बन गई थी। OPS के तहत कर्मचारियों को सेवा निवृत्ति के बाद उनके अंतिम वेतन का लगभग 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था, जिसे पूरी तरह से सरकार के कोष से भुगतान किया जाता था।

इस व्यवस्था से सरकारी खजाने पर भारी दबाव पड़ता था, और भविष्य में इस बोझ के बढ़ने की संभावना थी। ऐसे में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए इस योजना को 1 जनवरी 2004 से बंद कर दिया गया और उसकी जगह नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लागू किया गया।

पुरानी पेंशन योजना (OPS) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के बीच मुख्य अंतर

  • OPS: यह एक परिभाषित लाभ वाली योजना थी, जिसमें कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित मासिक पेंशन मिलती थी। पेंशन राशि अंतिम वेतन के आधे के बराबर होती थी, जिसमें महंगाई भत्ता भी शामिल था। यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित होती थी।
  • NPS: यह एक अंशदायी योगदान प्रणाली है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों नियमित योगदान करते हैं। पेंशन की राशि निवेश के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, इसलिए इसमें लाभ की संभावना के साथ-साथ जोखिम भी होता है। NPS की यह प्रकृति इसे वित्तीय स्थिरता के लिहाज से अधिक टिकाऊ बनाती है।

सरकार की पहल: यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के जरिए सुधार

कर्मचारियों की लगातार बढ़ती मांगों और विरोध को देखते हुए सरकार ने NPS की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया। समिति की सिफारिशों के आधार पर ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (UPS) की शुरुआत की गई है।

UPS का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के बाद एक न्यूनतम निश्चित और स्थिर पेंशन मिले, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बेहतर हो सके। यह योजना NPS को अधिक सुदृढ़ और कर्मचारियों के लिए उपयुक्त बनाने की कोशिश है।

कर्मचारी संगठनों का रुख और आगे की संभावनाएं

कर्मचारी संगठन UPS से संतुष्ट नहीं हैं और उनका मानना है कि यह योजना पुरानी पेंशन योजना जैसी सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने में असमर्थ है। वे OPS की बहाली के लिए देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार के इस स्पष्ट इनकार से यह संकेत मिलता है कि यह मुद्दा अभी भी संवेदनशील बना हुआ है और आने वाले समय में सरकार और कर्मचारियों के बीच इस पर बहस जारी रह सकती है।

विशेषज्ञ भी मानते हैं कि पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू करने से सरकारी वित्तीय स्थिति पर गंभीर दबाव पड़ेगा, जो विकास योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सरकार NPS और UPS के सुधार को ही प्राथमिकता दे रही है।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांगों के बावजूद, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और भविष्य में भी NPS तथा UPS के जरिए कर्मचारियों की पेंशन सुरक्षा को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत दिया है। यह मामला अभी भी कर्मचारियों और सरकार के बीच बहस का विषय बना हुआ है, और आने वाले समय में इसके हल की संभावना बनी रहेगी।

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Sumit Shrivastava

Business Journalist

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