बहुत से लोग सोचते हैं कि रिटायरमेंट के लिए ₹1 करोड़ रुपये का कॉर्पस (Retirement Corpus) काफी है। लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह सोच एक बड़ी फाइनेंशियल मिस्टेक साबित हो सकती है। बढ़ती महंगाई (Inflation), मेडिकल खर्च और लंबी उम्र की वजह से 1 करोड़ रुपये रिटायरमेंट के बाद पर्याप्त नहीं रह जाते।
आज की तारीख में ₹1 करोड़ बड़ी रकम लग सकती है, लेकिन 15-20 साल बाद महंगाई इसकी वास्तविक वैल्यू को काफी घटा देगी। रोज़मर्रा की ज़रूरतें और खर्च इतने बढ़ सकते हैं कि यह रकम जल्दी खत्म हो जाएगी।
हेल्थकेयर खर्च सबसे बड़ा बोझ
रिटायरमेंट के बाद सबसे ज़्यादा खर्च मेडिकल और हेल्थकेयर पर होता है। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा बढ़ता है और मेडिकल इंफ्लेशन सामान्य महंगाई से कहीं तेज़ी से बढ़ रहा है।
लंबी उम्र और जीवनशैली
भारत में जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) लगातार बढ़ रही है। पहले लोग 60-65 साल तक जीते थे, लेकिन अब कई लोग 80 साल या उससे ज़्यादा जी रहे हैं। ऐसे में 1 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड 15-20 साल में खत्म हो सकता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सिर्फ फिक्स्ड रकम पर भरोसा करना गलत है। बेहतर होगा कि लोग म्यूचुअल फंड SIP, पेंशन प्लान, हेल्थ इंश्योरेंस और विविध निवेश (Diversified Investments) पर ध्यान दें। इससे रिटायरमेंट के बाद भी स्थायी आय बनी रहती है।
अगर आप सोच रहे हैं कि रिटायरमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये काफी होंगे, तो यह आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। सही रिटायरमेंट प्लानिंग और समझदारी से किए गए निवेश ही सुरक्षित भविष्य की कुंजी हैं।
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