Rupee sinks to record low: डॉलर के मुकाबले ₹88.44 पर पहुँचा रुपया, US टैरिफ दबाव से नाजुक बनी स्थिति
भारतीय रुपया (Indian Rupee) आज डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर ₹88.44 पर पहुँच गया। लगातार बढ़ते US टैरिफ प्रेशर (Tariff Pressure) और विदेशी निवेश की निकासी ने रुपया को कमजोर बना दिया है।

Rupee गिरने के मुख्य कारण
- अमेरिकी टैरिफ तनाव (US Tariff Tensions) – अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिससे निर्यात पर दबाव पड़ा।
- विदेशी निवेशकों की निकासी – अनिश्चित माहौल के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार से पैसा निकाल रहे हैं।
- डॉलर की मजबूती – डॉलर इंडेक्स के मज़बूत होने से रुपया और दबाव में आ गया।
- आरबीआई हस्तक्षेप सीमित – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) समय-समय पर हस्तक्षेप कर रहा है, लेकिन प्रभाव सीमित दिखा।
गिरावट का असर
- निर्यातकों पर बोझ – IT, टेक्सटाइल और ज्वैलरी सेक्टर को नुकसान।
- मुद्रास्फीति का खतरा – आयातित कच्चा तेल और इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो सकते हैं।
- स्टॉक मार्केट अस्थिर – रुपया कमजोरी से Sensex और Nifty में उतार-चढ़ाव बढ़ा।
आगे की राह
- अगर US-India Trade Talks में सकारात्मक नतीजे आते हैं तो रुपया संभल सकता है।
- अमेरिकी Federal Reserve ब्याज दरों में कटौती करता है तो डॉलर की मजबूती कम होगी।
- भारत सरकार और RBI मिलकर अतिरिक्त कदम उठा सकते हैं ताकि बाज़ार स्थिर रहे।
निष्कर्ष
रुपया का ₹88.44 का स्तर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी है। जब तक US Tariff Pressure और विदेशी निवेशक भावना में सुधार नहीं आता, रुपया की स्थिति नाजुक बनी रहेगी।
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