भारतीय स्टेट बैंक (SBI) एक महत्वाकांक्षी कदम बढ़ा रहा है: बैंक सरकार के साथ गहरा संवाद कर रहा है ताकि नए-युग (New-Age) सेक्टरों के लिए एक क्रेडिट गारंटी स्कीम स्थापित की जाए। इसका लक्ष्य उन व्यवसायों को सहायता देना है जिन्हें पारंपरिक वित्तपोषण से संसाधन हासिल करना चुनौतीपूर्ण माना जाता है। SBI की यह पहल न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर में बदलाव ला सकती है, बल्कि आर्थिक वृद्धि और टेक्नोलॉजी-इनोवेशन में एक बड़ा बल भी बन सकती है।
SBI के MD ने स्पष्ट किया है कि बैंक खासकर उन सेक्टरों को प्राथमिकता देना चाहता है जो भविष्य-उन्मुख हैं और जिनमें जोखिम अधिक है। इनमें शामिल हैं:
इन New-Age सेक्टरों में तुरंत व्यापक पूंजी जुटाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि ये अभी पूर्ण परिपक्वता नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसी स्थिति में, एक गारंटी स्कीम बैंकों को आत्मविश्वास दे सकती है कि डिफ़ॉल्ट की स्थिति में उनका जोखिम हिस्सा नियंत्रित रहेगा।
SBI केवल वित्तीय गारंटी की चर्चा तक सीमित नहीं रहना चाहता। बैंक एक Centre of Excellence (CoE) स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो इन जोखिम भरे सेक्टरों की समझ को और गहरा करेगा। CoE के माध्यम से बैंक निम्नलिखित कार्य करेगा:
CoE की स्थापना से SBI न सिर्फ वित्तीय जोखिम का बेहतर प्रबंधन कर सकेगा, बल्कि एक ऐसी विशेषज्ञता भी बनाएगा जो उन क्षेत्रों में नई वित्तीय उत्पादों और मॉडल को जन्म दे सकती है जो वर्तमान में कम कवरेज वाले हैं।
SBI यह प्रस्ताव भी पेश कर रहा है कि “ग्रीन फाइनेंस” को उसकी Priority Sector Lending (PSL) सूची में शामिल किया जाए। अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो बैंक उन ग्रीन प्रोजेक्ट्स को बेहतर शर्तों पर फाइनेंस करने में सक्षम होगा।
हालाँकि, ऐसी मांग कुछ कमियों और चुनौतियों के साथ आती है। PSL में ग्रीन फाइनेंस जोड़ने से पारंपरिक PSL क्षेत्रों, जैसे कृषि और छोटे व्यवसायों, के लिए फंड का दबाव बढ़ सकता है। इस प्रस्ताव पर केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच विचार-विमर्श अभी जारी है।
भारत में EV, हरित ऊर्जा और डेटा केंद्र तेजी से बढ़ रहे हैं और ये क्षेत्र भविष्य में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। SBI की यह क्रेडिट गारंटी पहल इन सेक्टरों को वित्तीय समर्थन देने का एक प्रभावी साधन हो सकती है।
अगर SBI को गारंटी मिलती है, तो वह उन स्टार्टअप्स और टेक-कंपनियों को भी लोन दे सकता है जो अभी शुरुआत में हैं, लेकिन जिनमें स्केल-अप की क्षमता मौजूद है। इससे उनकी पूंजी तक पहुंच सरल होगी और विकास की गति तेज हो सकती है।
हालाँकि यह योजना संभावनाओं से भरी है, लेकिन इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण जोखिम भी जुड़े हैं:
निवेशकों के लिए यह कदम अवसरों का एक नया द्वार खोल सकता है। उन निवेशकों को, जो टेक्नोलॉजी, रिन्यूएबल एनर्जी या EV सेक्टर में दीर्घकालीन मौके देख रहे हैं, SBI की इस पहल पर ध्यान देना चाहिए। इसे एक संकेत माना जा सकता है कि बैंक इन क्षेत्रों को फाइनेंसिंग देने के लिए तैयार है और जोखिम-मॉडलिंग में नवीनता ला रहा है।
आर्थिक दृष्टिकोण से, यदि यह स्कीम सफल होती है, तो यह भारत में ग्रीन टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप इकोसिस्टम को एक अहम बढावा दे सकती है। यह ऐसी परियोजनाओं को समर्थन दे सकती है जो पर्यावरण-अनुकूल हों, और साथ ही आर्थिक विकास को टिकाऊ तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करें।
यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में है, और आगे क्या होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि SBI और सरकार गारंटी स्कीम की संरचना, कवरेज स्तर और वित्तीय भार को कैसे मैनेज करते हैं। CoE द्वारा किए जाने वाले रिसर्च और MoU इस योजना की सफलता में अहम भूमिका निभाएंगे।
यदि यह गारंटी मॉडल सफल होता है, तो यह न सिर्फ एक वित्तीय उत्पाद बनेगा, बल्कि भारत में नए-एज सेक्टरों के लिए एक पूंजी संरचना का आधार भी तैयार कर सकेगा। बैंक और सरकार दोनों के लिए यह दृष्टिकोण दीर्घकालीन आर्थिक रणनीति का हिस्सा बन सकता है, जो टेक्नोलॉजी, हरित ऊर्जा और स्टार्टअप वृद्धि के लक्ष्य को समर्थन देगा।
SBI की यह पहल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकती है जो टेक-लॉन्ग, Green Finance और स्टार्टअप-विकास को एक साथ जोड़ने की क्षमता रखती है। नए-युग सेक्टरों को वित्तीय समर्थन देने में यह कदम न सिर्फ बैंकिंग प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालीन वृद्धि और सतत विकास के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
हालाँकि जोखिम कम नहीं हैं, लेकिन अगर यह स्कीम सफल होती है, तो यह निवेशकों, स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी-उद्योगों को एक नई दिशा दे सकती है। SBI और सरकार की इस बातचीत का आगे का मोड़ भारत की विकास यात्रा में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
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