SEBI Board Meeting: IPO और Public Shareholding Norms में बड़े बदलाव – निवेशकों के लिए 5 अहम बातें
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपनी हालिया बोर्ड मीटिंग में IPO और Public Shareholding से जुड़े कई अहम सुधारों को मंजूरी दी है। ये बदलाव निवेशकों की पारदर्शिता, कंपनियों की लिस्टिंग प्रक्रिया और बाजार की गवर्नेंस को और मजबूत करने की दिशा में उठाए गए हैं।

1. Public Shareholding Norms में बदलाव
SEBI ने कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (Minimum Public Shareholding – MPS) नियमों को सरल और लचीला बनाने का निर्णय लिया है। अब लिस्टेड कंपनियों को धीरे-धीरे अपनी पब्लिक होल्डिंग बढ़ाने की सुविधा दी जाएगी, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।
2. IPO Disclosure Norms हुए कड़े
अब कंपनियों को IPO लाने से पहले निवेशकों के लिए स्पष्ट और पारदर्शी खुलासे (disclosures) करने होंगे। इससे निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति, जोखिम और गवर्नेंस प्रैक्टिस के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
3. Anchor Investors के नियम बदले
SEBI ने एंकर निवेशकों (Anchor Investors) के लिए नए दिशा-निर्देश लागू किए हैं। अब लॉक-इन अवधि और निवेश के अनुपात से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है ताकि दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।
4. Startups और SME IPO को बढ़ावा
स्टार्टअप्स और SME कंपनियों के लिए IPO प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। अब लिस्टिंग के समय उन्हें कम compliances का पालन करना होगा, जिससे नए उद्यमों को पूंजी बाजार से धन जुटाने का अवसर मिलेगा।
5. Corporate Governance Norms सख्त
SEBI ने कंपनियों को बोर्ड संरचना, स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और शेयरधारकों के अधिकारों को लेकर नए नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है। इसका मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना और कॉर्पोरेट पारदर्शिता को मजबूत करना है।
निवेशकों के लिए क्या मतलब है?
- IPO में निवेश करने से पहले निवेशकों को अब अधिक पारदर्शी जानकारी मिलेगी।
- बाजार में public float बढ़ने से liquidity और ट्रेडिंग अवसर भी बढ़ेंगे।
- स्टार्टअप्स और SMEs में निवेश करना आसान होगा, जिससे नए अवसर पैदा होंगे।
- मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नेंस से निवेशकों का भरोसा और बढ़ेगा।
SEBI के इन नए सुधारों से भारतीय पूंजी बाजार और IPO सेगमेंट और अधिक पारदर्शी, निवेशक-अनुकूल और स्थिर बनेंगे।
लंबी अवधि में, ये बदलाव न सिर्फ कंपनियों के लिए बल्कि निवेशकों और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे।
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