भारत की सबसे बड़ी IT कंपनियों में से एक Tata Consultancy Services (TCS) इस समय श्रम विवाद के केंद्र में है। कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों के बाद IT कर्मचारियों की यूनियन NITES ने Labour Commissioner कार्यालय में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद Pune Labour Commissioner ने TCS को समन भेजकर जवाब तलब किया है। यह सुनवाई 18 नवंबर को निर्धारित की गई है। इस खबर के सामने आने के बाद IT सेक्टर में रोजगार सुरक्षा को लेकर बहस और तेज हो गई है।
नौकरी कटौती को लेकर आई शिकायतों में कहा गया है कि कई कर्मचारियों को या तो अचानक नौकरी से अलग किया गया या फिर उन्हें जबरन इस्तीफा देने के लिए कहा गया। कई कर्मचारियों ने यह भी दावा किया कि उन्हें कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया और न ही उन्हें उचित नोटिस पीरियड या उनके बकाया भुगतान समय पर दिए गए।
शिकायतें बढ़ने के बाद NITES (Nascent Information Technology Employees Senate) ने Labour Department से दखल देने की मांग की। यूनियन का कहना है कि TCS ने अचानक और बिना पारदर्शिता के छंटनी की है, जो श्रम कानूनों का उल्लंघन है।
Pune Labour Commissioner ने शिकायत मिलने के बाद TCS को समन भेजा है। इस समन के तहत कंपनी को यह स्पष्ट करना होगा कि छंटनियां किस आधार पर की गईं, क्या कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया, और क्या कर्मचारियों को उनका बकाया, नोटिस या अन्य लाभ प्राप्त हुए। यह समन यह दिखाता है कि विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।
TCS की ओर से आधिकारिक बयान भले कम आए हों, लेकिन कंपनी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार संगठन अपनी टीम के “reskilling और restructuring” पर जोर दे रहा है। कंपनी के अनुसार, बदलते टेक्नोलॉजी माहौल, AI आधारित कामकाज और ऑटोमेशन के कारण कुछ भूमिकाएँ अप्रासंगिक हो रही हैं, जिसके चलते workforce composition में बदलाव आवश्यक है।
कंपनी यह भी कहती है कि छंटनी किसी को निशाना बनाकर नहीं की गई, बल्कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो मूल्यांकन और प्रदर्शन के आधार पर होती है। हालांकि, कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोप इससे अलग तस्वीर पेश करते हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि:
इन आरोपों ने माहौल को और गरमा दिया और कर्मचारियों के बीच डर की भावना बढ़ गई।
NITES लगातार IT कर्मचारियों के हितों की आवाज उठाने वाली यूनियन रही है। इस मामले में यूनियन ने कहा है कि वे उन सभी कर्मचारियों के साथ हैं जिन्हें बिना कारण नौकरी से निकाला गया या ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया। यूनियन का कहना है कि:
NITES ने यह भी कहा कि वे इस मुद्दे को राज्य श्रम मंत्रालय और केंद्रीय श्रम मंत्रालय तक ले जाएंगे यदि आवश्यक हुआ।
इस विवाद को सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं माना जा रहा है। IT सेक्टर में तकनीक के तेज़ी से बदलते स्वरूप, AI की बढ़ती उपयोगिता और global projects में उतार-चढ़ाव के चलते कई कंपनियाँ restructuring के दौर से गुजर रही हैं।
बीते महीनों में IT सेक्टर की कई दिग्गज कंपनियों ने भर्ती घटाई है और कुछ ने छंटनी बढ़ाई है। ऐसे में TCS का मामला कर्मचारियों और नौकरी तलाशने वालों दोनों के लिए चेतावनी है कि सेक्टर में स्थिरता अब पहले जैसी नहीं रही।
TCS भारत की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है। छंटनी विवाद से:
हालांकि, TCS की वित्तीय स्थिति मजबूत है और कंपनी की दीर्घकालिक योजनाएँ अभी भी निवेशकों के लिए भरोसेमंद मानी जाती हैं, लेकिन ऐसे विवाद short-term volatility ला सकते हैं।
इस घटना ने कर्मचारियों को साफ संदेश दिया है कि IT सेक्टर में job security अब उतनी मजबूत नहीं रह गई है। प्रदर्शन, स्किल अपडेट और नई तकनीक सीखना पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। कर्मचारियों को अब reskilling पर जोर देना होगा, क्योंकि आने वाले वर्षों में AI आधारित कामकाज तेजी से सामान्य हो जाएगा।
Labour Commissioner की सुनवाई के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी कि TCS को क्या स्पष्टीकरण देना होगा और क्या कुछ कर्मचारियों को वापस लिया जा सकता है या उन्हें अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
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